Thursday, February 27, 2020

Chandra Shekhar Azad Death Anniversary: ब्रिटिश हुकुमत जिस क्रांतिकारी के नाम से कांप उठती थी, ऐसे थे भारत माता के सपूत चंद्रशेखर आजाद

।।जय हिंद।।  ।।वन्देमातरम।।  ।।भारत माता की जय।।

ब्रिटिश हुकुमत जिस क्रांतिकारी के नाम से कांप उठती थी, ऐसे थे भारत माता के सपूत चंद्रशेखर आजाद
दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे'.... भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) 89वां शहादत दिवस है.  चंद्रशेखर आजाद के इस बलिदान को हर साल 27 फरवरी के दिन शहादत दिवस के तौर पर मनाया जाता है. चंद्रशेखर ने अपनी जिंदगी में कसम खाई हुई थी कि वह कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं लगेंगे. उन्होंने जो कहा तथा उसपर वे कायम भी रहे. 27 फरवरी 1931 के दिन चंद्रशेखर आजाद पार्क इलाहाबाद के अलफ्रेड पार्क में बैठे थे. उसी समय अंग्रेजों ने उन्हें चारो तरफ से घेर लिया. इस दौरान चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजो का डटकर मुकाबला किया. लेकिन जब उनके पास अंतिम गोली बची तो पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी. उन्होंने कहा था कि मैं आजाद था और आजाद ही रहूंगा.


स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान एक सनातनधर्मी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. पिता पं. सीताराम तिवारी प्रकाण्ड पंडित थे, मगर स्वभाव से निहायत दयालु प्रवृत्ति के थे. मां जगरानी देवी गृहिणी थीं. चंद्रशेखर का बालपन ज्यादातर आदिवासी बहुल इलाके में बीता. भील बच्चों के साथ वह काफी छोटी उम्र में तीर-धनुष के निशाने में पारंगत हो गये थे. बालक चन्द्रशेखर आज़ाद का मन शुरु से देश की आज़ादी के लिए कुछ करने को मचलता था.

अंग्रेज पीठ पर मारते बेंत तो चिल्लाते थे वन्देमातरम

आजाद का नाम ही आजाद नहीं था उनका ख्वाब भी आजादी पाना था. चंद्रशेखर आजाद का सपना था कि भारत माता को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराएं. यही कारण था कि युवा अवस्था में आते ही वे 1921 में असहयोग आन्दोलन के दौरान आजादी की लड़ाई में आजाद भी कूद पड़े थे. उन्होंने काशी के अपने विद्यालय में भी इसकी मशाल जलाई इसी दौरान अन्य लोगों के साथ पुलिस ने आजाद को भी हिरासत में ले लिया. जिसके बाद 15 बेंतो की सख्त सजा सुनाई गई. इस दौरान आजाद जरा भी डरे नहीं हर बेंत लगने पर वंदे मातरम चिल्लाते थे. 

जलियांवाला कांड ने झकझोर दिया था

चंद्रशेखर आजाद को 1922 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन से बाहर कर दिया था. अमृतसर के जलियांवाला बाग नरसंहार ने युवा चंद्रशेखर को झकझोर के रख दिया था. फिर प्रणवेश चटर्जी के सम्पर्क में आये और क्रान्तिकारी दल "हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ" के सदस्य बन गये. राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड को अंजाम दिया तथा गिरफ़्तारी से बचने के लिए फरार हो गये थे. शेखर आजाद ने 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था।
प्रस्तुतकर्ता :- आदित्य रुहेला राजपूत



Monday, February 3, 2020

Rohila Rajput gotra ।।Aditya Ruhela Rajput।।

।।जय श्री राम।।                                           ।।जय हिन्द।।                                               ।।जय राजपूताना।।

                                                        रोहिला राजपूत


रोहिल्ला [1] उपाधि - शूरवीर, अदम्य - साहसी विशेष युद्ध कला में प्रवीण, उच्च कुलीन सेनानायको, और सामन्तों को उनके गुणों के अनुरूप क्षत्रिय वीरों को तदर्थ उपाधि से विभूषित किया जाता था - जैसे - रावत - महारावत, राणा, महाराणा, रूहॆला, ठाकुर, नेगी, रावल, रहकवाल, रोहिल्ला, समरलछन्द, लखमीर,(एक लाख का नायक) आदि। इसी आधार पर उनके वंशज भी आजतक राजपूतों के सभी गोत्रों में पाए जाते हैं।
रोहिलखण्ड से विस्थापित इन रोहिला परिवारों में राजपूत परम्परा के कुछ प्रमुख गोत्र हैं :- [2]
रोहिला, रूहेला, ठैँगर,ठहित, रोहिल, रावल, द्रोहिया, रल्हन, रूहिलान, रौतेला , रावत,लोहारिया
वो क्षत्रिय वंश जिन को रोहिल्ला उपाधि से नवाजा गया
यौधेय, योतिक, जोहिया, झोझे, पेशावरी
पुण्डीर, पांडला, पंढेर, पुन्ड़ेहार, पुंढीर, पुंडाया
चौहान, जैवर, जौडा, चाहल, चावड़ा, खींची, गोगद, गदाइया, सनावर, क्लानियां, चिंगारा, चाहड बालसमंद, बहरासर, बराबर, चोहेल, चेहलान, बालदा, बछ्स (वत्स), बछेर, चयद, झझोड, चौपट, खुम्ब, जांघरा, जंगारा, झांझड,शाण

निकुम्भ, कठेहरिया, कठौरा, कठैत, कलुठान, कठपाल, कठेडिया, कठड, काठी, कठ, पालवार
राठौर, महेचा, महेचराना, रतनौता, बंसूठ जोली, जोलिए, बांकटे, बाटूदा, थाथी, कपोलिया, खोखर, अखनौरिया ,लोहमढ़े, मसानिया
बुन्देला, उमट, ऊमटवाल
भारतवंशी, भारती, गनान
नाभावंशी,बटेरिया, बटवाल, बरमटिया
परमार, जावडा, लखमरा, मूसला, मौसिल, भौंसले, बसूक, जंदडा, पछाड़, पंवारखा, ढेड, मौन
तोमर, तंवर, मुदगल, देहलीवाल, किशनलाल, सानयाल, सैन, सनाढय
गहलौत, कूपट, पछाड़, थापा, ग्रेवाल, कंकोटक, गोद्देय, पापडा, नथैड़ा, नैपाली, लाठिवाल, पानिशप, पिसोण्ड, चिरडवाल, नवल, चरखवाल, साम्भा, पातलेय, पातलीय, छन्द (चंड), क्षुद्रक,(छिन्ड, इन्छड़, नौछड़क), रज्जडवाल, बोहरा, जसावत, गौर, मलक, मलिक, कोकचे, काक
कछवाहा, कुशवाहा, कोकच्छ, ततवाल, बलद, मछेर
सिसौदिया, ऊँटवाड़ या ऊँटवाल, भरोलिया, बरनवाल, बरनपाल, बहारा
खुमाहड, अवन्ट, ऊँट, ऊँटवाल
सिकरवार, रहकवाल, रायकवार, ममड, गोदे
सोलंकी, गिलानिया, भुन, बुन, बघेला, ऊन, (उनयारिया)
बडगूजर, सिकरवार, ममड़ा, पुडिया
कश्यप, काशब, रावल, रहकवाल
यदु, मेव, छिकारा, तैतवाल, भैनिवाल, उन्हड़, भाटटी बनाफरे, जादो, बागड़ी, सिन्धु, कालड़ा, सारन, छुरियापेड, लखमेरिया, चराड, जाखड़, सेरावत, देसवाल, पूडिया
  1.  Singh, K. S. (1998). People of India: Rajasthan. Popular Prakashan. पृ॰ 823. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7154-769-2.
  2.  Sen, K. C. History of Rohilla Rajputs (अंग्रेज़ी में). पपृ॰ chapter 6
प्रस्तुतकर्ता:- आदित्य रुहेला राजपूत